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यूरोपीय संघ में शरण के लिए रिकॉर्ड संख्या में आवेदन आए

५ जुलाई २०२३

साल 2022 में यूरोपीय संघ में शरण के लिए रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने आवेदन किया था. इनमें युद्ध से भागने वाले यूक्रेनी नागरिक शामिल नहीं हैं.

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ईयू में रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया
ईयू में रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया तस्वीर: imago images/NurPhoto

पिछले साल यूरोपीय संघ में शरण के लिए रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें सीरिया, अफगानिस्तान, तुर्की, वेनेजुएला और कोलंबिया से सबसे ज्यादा आवेदन आए थे. इस समय यूरोपीय संघ में एक नई आप्रवासन योजना पर बहस चल रही है.

यूरोपीय संघ की शरण एजेंसी (ईयूएए) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि यूरोपीय संघ में शरण पाने के आवेदन 2022 में लगभग दस लाख के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए. एजेंसी ने कहा कि उसे पिछले साल 9,96,000 आवेदन मिले थे, जो 2021 की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक थे.

ईयू में शरण के लिए आवेदन करने वाले सबसे बड़े समूहों में सीरिया, अफगानिस्तान, तुर्की, वेनेजुएला और कोलंबिया के लोग शामिल थे. जर्मनी को सबसे अधिक संख्या में 244,000 शरण आवेदन मिले, इसके बाद फ्रांस, स्पेन, ऑस्ट्रिया और इटली का स्थान है.

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यूरोपीय संघ 'गंभीर दबाव' में

यूक्रेन से आने वाले और यूरोपीय संघ में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग चालीस लाख है, लेकिन वे उन दस लाख आवेदकों में से नहीं हैं जिन्होंने पिछले साल शरण मांगी थी. यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण भागे लोगों को विशेष अस्थायी सुरक्षा का दर्जा दिया गया है.

एजेंसी ने कहा कि शरण चाहने वालों की संख्या के कारण कई देश गंभीर दबाव में हैं. क्योंकि स्थानीय निवासियों में शरणार्थियों को लेकर ज्यादा आपत्तियां हैं और उन्हें शरणार्थियों का स्वागत करने में दिक्कतें महसूस हो रही हैं.

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ईयू की नयी आप्रवासन योजना

यह रिपोर्ट ऐस समय में आई है जब यूरोपीय संघ के नेता आप्रवासन से निपटने के लिए एक नई योजना पर चर्चा कर रहे हैं, विशेष रूप से ऐसे लोगों को लेकर जो कानूनी प्रक्रियाओं के बिना यूरोपीय देशों में आए हैं.

यूरोपीय संघ हाल ही में एक योजना पर सहमत हुआ है जिसके तहत देशों को या तो एक निश्चित संख्या में प्रवासियों को स्वीकार करना होगा या प्रत्येक व्यक्ति को मना करने पर 21,000 डॉलर का भुगतान करना होगा. हंगरी और पोलैंड ने इस योजना पर आपत्ति जताई है. हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने पिछले सप्ताह सरकारी टीवी को बताया कि वह इस योजना को लागू नहीं करेंगे.

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने इस योजना पर भरोसा जताया है और कहा है कि योजना देशों को कई विकल्प मुहैया कराती है.

एए/सीके (रॉयटर्स, एपी)